जिंदगी की साईकल दो पहिये और दो पैडल बीच में बजती वो घंटी टन-टन-टन सबको आगह करती बढ़ रही है और चल रही है वो साईकल अकसर रुक जाती है वो हप्ते में दो बार कभी कभी महीने में एक बार जहाँ बनती है साईकल की पञ्चर फिर पहले जैसी हो जाती बिल्कुल टना-टन और फिर चल पड़ती है, वो धीरे-धीरे हवा से बात करते हुए बनकर फन-फन जिंदगी की साईकल रुकती है सबसे मिलती है सबको देखती हुई दो पल मुस्कुरा कर और फिर आगे बढ़ती है चल पड़ती है फिर से अपनी राह पर बन ठन कर जिंदगी की साईकल ✍️रिंकी जिंदगी की साईकल दो पहिये और दो पैडल बीच में बजती वो घंटी टन-टन-टन सबको आगह करती बढ़ रही है और चल रही है वो साईकल अकसर रुक जाती है