एक मैं हु जो बीमारी से जूझ रहा हु, एक तू है जो मेरी हालत पे हँस रहा है......!! मैं तुझे सोच ख़ुश हो रहा हु, तू मुझे सोच ख़ुश हो रहा है....!! ये सिलसिला मेरी सादगी का, अबतलक मुझे खल रहा है....!! मेरी जवानी का वो पहिया... अकेली डगर में चल रहा है.....!!!! ज़रा देख होठों की मुस्कुराहट... आंखों से जाम पी रही है....!! इधर मै उसे देखने को तरस रहा हूं... उधर वो गैर बाहें तलाश रही है....!!!! अर्पित द्विवेदी #nocaptionneeded