धैर्य की परीक्षा करो ना काल में मानव जाति के धैर्य की परीक्षा हो रही है ऐसी परीक्षा को लेकर रामचरितमानस में वर्णन आता है कि वनवास के दौरान सीता जी को संसार की व्यवहारिक बातों का ज्ञान कराने के लिए बहुत से उपदेश मिले उनमें एक यह भी था कि संकट के समय में यह स्त्री और पुरुष दोनों की परीक्षा होती है उसमें कहा गया है कि धर्म धैर्य मित्र और स्त्री की परीक्षा विपत्ति के समय ही होती है देखने में आता है कि जीवन में जब संकट आता है कभी-कभी पति पत्नी के बीच में उस संकट के कारण कड़वाहट बढ़ जाती है जबकि ऐसी स्थिति से बचा जाना चाहिए इस क्रम में मनुष्य को अपने आसपास तथा अपने मित्रों के सभी सहायता करनी चाहिए क्योंकि अच्छे समय में मित्रता का प्रदर्शन तो अक्सर किया जाता है परंतु मित्रता का भी असली परीक्षा का संकट के समय ही नहीं होता है इस संकट काल में जो व्यक्ति अपने मित्र की सहायता कर रहा है वहीं वास्तव में मित्र है इसलिए रामचरितमानस की उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए हम विद्यालय मित्रता और पति-पत्नी के संबंधों की परीक्षा में उत्तीर्ण होना चाहिए यही एक सच्ची मनुष्य की भी निशानी ©Ek villain #Dherey #flood