ढूंढता रहा जिसे मैं गली गली आज वही मेरे सपनों में आ मिली जब आंखें खोली तो धड़कने बोली कहां गुम हो गई परी हमारी तब ही पेंसिल उठाई और ड्राइंग सीट खोली फिर कर डाली चित्रकारी तुम्हारी तब सुकून आया धड़कनों को हमारी क्योंकि कॉपी के खाली पेज पर फिर से नजर आई तस्वीर तुम्हारी...😃 #my panting and my poetry 😄