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|| श्री हरि: || 65 - आँधी आयी 'हम्मा।' गायों ने क

|| श्री हरि: ||
65 - आँधी आयी

'हम्मा।' गायों ने कान खड़े का दिए हैं। चरना बंद करके वे स्वयं एकत्र हो गयी हैं झुण्ड की झुण्ड और अब लगता है कि गोष्ट को भागने वाली ही हैं ।

'कनूं! देख आँधी आ रही है।' कपि इधर-उधर छिपने लगे हैं। पक्षी उड़ते हैं आकुल-से और चीलें ऊपर -खूंब ऊपर मण्डल बनाकर चक्कर काटने लगी हैं। गोपकूमार ठीक ही तो कहते हैं कि आँधी आ रही है। दिशाएं धूमिल हो रही हैं और पश्चिमी आकाश में कपिश रंग की घटा-सी घेरे आ रही है, किंतु कन्हाई तो नाच रहा है। यह दोनों हाथ पूरे फैलाकर गोलमोल घूम रहा है।

'दादा, अभी से हम घर चलेंगे?' अभी सायंकाल होने में देर है परंतु गायें और बालक तो घर जाने को प्रस्तुत होने लगे हैं।
anilsiwach0057

Anil Siwach

New Creator

|| श्री हरि: || 65 - आँधी आयी 'हम्मा।' गायों ने कान खड़े का दिए हैं। चरना बंद करके वे स्वयं एकत्र हो गयी हैं झुण्ड की झुण्ड और अब लगता है कि गोष्ट को भागने वाली ही हैं । 'कनूं! देख आँधी आ रही है।' कपि इधर-उधर छिपने लगे हैं। पक्षी उड़ते हैं आकुल-से और चीलें ऊपर -खूंब ऊपर मण्डल बनाकर चक्कर काटने लगी हैं। गोपकूमार ठीक ही तो कहते हैं कि आँधी आ रही है। दिशाएं धूमिल हो रही हैं और पश्चिमी आकाश में कपिश रंग की घटा-सी घेरे आ रही है, किंतु कन्हाई तो नाच रहा है। यह दोनों हाथ पूरे फैलाकर गोलमोल घूम रहा है। 'दादा, अभी से हम घर चलेंगे?' अभी सायंकाल होने में देर है परंतु गायें और बालक तो घर जाने को प्रस्तुत होने लगे हैं। #Books

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