सीता तो सदियों से थी राम की और सदियों को तैयारी थी ये सारी लीला सिर्फ नाम की बस एक रस्म ये सारी थी सीता को वर पाने की कोशिश भूल राजाओं की भारी थी एक स्वयंवर रचा गया वीरों से सजी सभा अति न्यारी थी शिव जी के दिव्य धनुष पर प्रत्यंचा की तैयारी थी धनुष उठाने की कोशिश एक एक करके जारी थी गर्व और अतिविश्वास से भरे भारत के कोने कोने से आए वीर अतिवीर राजाओं के अट्टाहस की गर्जना अतिभारी थी (शेष कैप्शन में जरूर पढ़ें) ©Rakhee ki kalam se सीता तो सदियों से थी राम की और सदियों को तैयारी थी ये सारी लीला थी नाम की बस एक रस्म ये सारी थी सीता को वर पाने की कोशिश भूल राजाओं की भारी थी एक स्वयंवर रचा गया