मंजिल मिल ही जायेगी एक दिन, भटकते-भटकते ही सही । गुमराह तो वो है, जो घर से निकले ही नहीं | खुशियां मिल जायेगी एक दिन, रोते रोते ही सही ॥ कमजोर दिल के है वो जो हसने को सोचते ही नहीं ॥ ॥ पुरे होंगे हर वो ख्वाब, जो देखते है अंधेरी रातों मे ॥ ॥ ना समझ हैं वो. जो डर से पुरी रात सोते ही नही.।। ©MrAkaSharma #City #shyari #GumrahShayar #Love