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Stop smoking because, जब आती है गमन बेला, छूट जाता

Stop smoking because, जब आती है गमन बेला, छूट जाता है दुनिया का मेला,                           मानव तो है मात्र मिट्टी का ढेला, प्रतिक्षण घुलता व गलता है,               ऐसे ही मौत का शासन उस पर चलता है,                                          मौत रुपी सर्प हर किसी को डसता है तो फिर.............                       किस बात का है मोह, किस बात का है बंधन,                                      एक क्षण हर्ष है, तो दूसरे क्षण क्रन्दन |                                               जीवन की जिजीविषा क्यों है इतनी प्रबल, मौत के आगे हर कोई हो जाता है निर्बल,                                                                                         अरे मनुष्यों !हीरे की चमक इतना मत खो जाओ,                                 कि हीरे के अंदर भरे जहर को भी न पहचान पाओ                               जिस नशे को तुम समझते हो अमृत, वह तो भयानक गरल है,               जीवन जितना कठिन है, मौत उतनी ही सरल है |                               "धूल  में मिल जाता है फूल टूट कर अपनी शाख से,                            मानव की भी पहचान होती है उसकी राख से                                लाभ व हानि का साथ ही हार व जीत का छोड़ दो झमेला,                  छूट जाता है दुनिया का मेला, रह जाता है चिता की ढेर पर अकेला | ज़ब आती है गमन बेला ||||||||||| ज़ब आती है गमन बेला #
Stop smoking because, जब आती है गमन बेला, छूट जाता है दुनिया का मेला,                           मानव तो है मात्र मिट्टी का ढेला, प्रतिक्षण घुलता व गलता है,               ऐसे ही मौत का शासन उस पर चलता है,                                          मौत रुपी सर्प हर किसी को डसता है तो फिर.............                       किस बात का है मोह, किस बात का है बंधन,                                      एक क्षण हर्ष है, तो दूसरे क्षण क्रन्दन |                                               जीवन की जिजीविषा क्यों है इतनी प्रबल, मौत के आगे हर कोई हो जाता है निर्बल,                                                                                         अरे मनुष्यों !हीरे की चमक इतना मत खो जाओ,                                 कि हीरे के अंदर भरे जहर को भी न पहचान पाओ                               जिस नशे को तुम समझते हो अमृत, वह तो भयानक गरल है,               जीवन जितना कठिन है, मौत उतनी ही सरल है |                               "धूल  में मिल जाता है फूल टूट कर अपनी शाख से,                            मानव की भी पहचान होती है उसकी राख से                                लाभ व हानि का साथ ही हार व जीत का छोड़ दो झमेला,                  छूट जाता है दुनिया का मेला, रह जाता है चिता की ढेर पर अकेला | ज़ब आती है गमन बेला ||||||||||| ज़ब आती है गमन बेला #