जख्म तो भर जाते हैं निशान छोड़ जाते हैं लोग बिछड़ जाते हैं यादें छोड़ जाते हैं वो जो पीते हैं महबूब का नाम ले लेकर अक्सर पैेमाने में कुछ शराब छोड़ जाते हैं रोज चलते हैं जिंदगी में हमसफर बनने की खातिर जब जमाने के साथ चलते हैं अकेला छोड़ जाते हैं मुझे तुम से यारों कोई गिला कोई गुरैज नहीं जो बचपन में साथ होते हैं जवानी में छोड़ जाते हैं देखते हैं अलग नजरौं से अपनी ही औलादों को खुद तो मर जाते हैं बस लड़ना छोड़ जाते हैं ना लिया करो इम्तेहान किसी की बर्दाश्त का बगावत पर उतरने वाले इंकलाब छोड़ जाते हैं हो सके तो छोड़ दो किसी के हक का खाना हुई नजर जो आह की भूखा छोड़ जाते हैं गुमान न कीजिए शोहरत और दौलत का कभी भला जो करते हैं 'फकीर' काफिला छोड़ जाते हैं #pastExperience