तरसते अरमानों का पूर बह ही गया, ज़हन में तो रह गई सिर्फ तेरी याद, कितनी शिद्दत से सजाए थे हमने हमारे अरमान, बिखर गए सब टूट के पल भर में ही। था हमारे जो वह पल भर में ही बेगाना हो गया, जिसे जानते थे हम खुद से भी ज्यादा, चंद लम्हों में ही वो अनजाना बन गया, एक रास्ते पर चलते थे हम दो राही, हमारा रास्ता कब अलग हो गया, किसी को पता ही नहीं चला। जिसके बिना एक पल भी नहीं गुजरता था हमारा, आज एक अरसा हो गया उसको गये, वक़्त का सितम गुजारते गुजारते, हमने काटे हैं यह पल बिन तुम्हारे। महफ़िल मेरे भी सजती थी, सिर्फ तुम्हारी एक झलक से, तेरे बिन भी आज भी महफ़िल सजती है, लेकिन आज फर्क़ सिर्फ इतना है कि, भरी महफ़िल में भी खुद को अकेला पाता हूँ। -Nitesh Prajapati — % & ♥️ Challenge-850 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।