अब मैं घर पर कलम रखता हूँ, रास्ते में कहाँ लिखता हूँ!! कोई रूठ ना जाए मेरी हरक़तों से, हर मिलन से पहले रुकावटों का सफ़र रखता हूँ। यूँ तो कोई हादसा नहीं हुआ कई सालों से, मग़र फिर भी एहतियातन-नज़र रखता हूँ। हर सलीके से वास्ता है मेरा, बदमाशियाँ तो जान-बूझकर अख्तियार करता हूँ। एक अरसे से सोया हुआ हूँ, आँखों में फिर भी एक सफ़र रखता हूँ। कोई लिखे या ना लिखे जवाबी ख़त, मैं जिंदा हूँ, ख़बर करता हूँ। #yqhindi #yqsaphar #yqsafar