Nojoto: Largest Storytelling Platform

नहीं किसी का, कसूर है। बनाता यही, तो मिटाता भी यही

नहीं किसी का, कसूर है।
बनाता यही, तो मिटाता भी यही है।
मोहब्बत के नग़मे, सुनाता भी यही है।
कहाँ कोई, किस को , कब जानता है,
आपस मे सब को, मिलाता भी यही है।
यही वक़्त , ज़ख़्म भर देता है हमारे,
बिगड़ी सभी की, बनाता भी यही है।
इस ख़ुदग़र्ज़ ज़माने का, क्या कहना,
इन्सां को शैताँ,  बनाता भी यही है।
समझ सके न ज़माने को, अच्छे-अच्छे,
"फिराक़", तुझको तो कुछ, आता-जाता नहीं है।


— % & यही ज़माने का दस्तूर है...
#ज़मानेकादस्तूर #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
नहीं किसी का, कसूर है।
बनाता यही, तो मिटाता भी यही है।
मोहब्बत के नग़मे, सुनाता भी यही है।
कहाँ कोई, किस को , कब जानता है,
आपस मे सब को, मिलाता भी यही है।
यही वक़्त , ज़ख़्म भर देता है हमारे,
बिगड़ी सभी की, बनाता भी यही है।
इस ख़ुदग़र्ज़ ज़माने का, क्या कहना,
इन्सां को शैताँ,  बनाता भी यही है।
समझ सके न ज़माने को, अच्छे-अच्छे,
"फिराक़", तुझको तो कुछ, आता-जाता नहीं है।


— % & यही ज़माने का दस्तूर है...
#ज़मानेकादस्तूर #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi