ऐ ऋषि वाल्मीकि तुम ही मेरे लिए राजा हो , तुम ही न्याय दाता हो , तुम ही हो जिसे मैं मर्यादा पुरुषोत्तम कह सकता हूँ । तुमने ही दी थी शरण कर्म की दासी भाग्य से हारी सीता को द्वार तुम्हारे पाया उसने सुख पीहर और ससुराल का खेले थे लव कुश आंगन तुम्हारे समझ उसे ननिहाल सा ऋषि श्रेष्ठ से सीखा कौशल शस्त्र और शास्त्र का । कुंठित मन को मिला सबल ऋषि तेरे आश्रम वास का फर्ज़ निभाया तुमने सीता के गुरु ,पिता और भ्रात का । राजा के प्रति लव कुश के विद्रोह को तुमने सींचा करुणामय सीता के सम्मान के सवालों के गुबार सा । #yqbaba #yqdidi #seeta #ramyan #vaalmikiraamaayan #rishi