आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक। आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब है दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होने तक। हम ने माना कि तग़ाफुल न करोगे लेकिन ख़ाक हो जाएँगे हम तुमको ख़बर होने तक। #_जनाबे_मिर्ज़ा_ग़ालिब_साहब🙏🙏 I am marinating ideas in my head that I need to write about next week. What are you planning to do next week? #NextWeek #Collab Challenge #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Baba