क्यों घबराऊँ मैं अंधेरे से, दीपक में तेल से भीगी बाती तो है। माना असफलताओं से हताश हूँ, पर खुश हूँ तुम जैसा मेरे पास साथी तो हैं। Dedicating a #testimonial to Vinita Singh #शून्य #साथी #मेरेपास #हताश #दीपक #बाती #अंधेरा