लगाकर के चेहरे हजार खुदको ढूंढने चला । आइना देखा तो असली क्या और नकली क्या । सब बिकता है यहाँ , जमीर हो या दिल । किसी के ईमान का यहाँ कीमत क्या । नफ़रतें सान से चलती है, इश्क कुंठा बना । जान और इंसान का यहाँ कीमत क्या । ©Manoj Karn #Life #Jindagi #manojkarn #openstage #phylosophy