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विवाह का आधार न लोभ ना ही प्रेम होना चाहिए, क्यों

विवाह का आधार न लोभ ना ही  प्रेम होना चाहिए, क्यों कि दोनों ही अस्थायी भाव है। विवाह त्याग, आत्मदान और समर्पण का अनुष्ठान है।

आर्थिक लाभ और काया कल्प यदि चयन का आधार हो तो भी संबंध स्थाई रूप से अनुकूलित नही रह सकता।

केवल एक दूसरे के प्रति सम्मान और समर्पण का भाव स्थाई रिश्तो को जन्म देती है। और इसके साथ यदि विवाह प्रेम सूत्र से भी बंधा हो तो जीवन उत्सब बन जाता  है ।

~अभिजीत दे। #विवाह #Marriage
विवाह का आधार न लोभ ना ही  प्रेम होना चाहिए, क्यों कि दोनों ही अस्थायी भाव है। विवाह त्याग, आत्मदान और समर्पण का अनुष्ठान है।

आर्थिक लाभ और काया कल्प यदि चयन का आधार हो तो भी संबंध स्थाई रूप से अनुकूलित नही रह सकता।

केवल एक दूसरे के प्रति सम्मान और समर्पण का भाव स्थाई रिश्तो को जन्म देती है। और इसके साथ यदि विवाह प्रेम सूत्र से भी बंधा हो तो जीवन उत्सब बन जाता  है ।

~अभिजीत दे। #विवाह #Marriage
abhijeetdey2871

Abhijeet Dey

New Creator