कविता छिपा लेती है राज़ यों गहरे, पल-पल लगाये भी जायें चाहे पहरे। जीवन की हर सच्चाई लिख जाये, कल्पना का हर अंश सहज ही लहरे। झूठ न कभी भी कुछ भी छिप पाये, लगा लो चाहे लाखों चेहरों पे चेहरे। सबको सुन जाये, सबको दिख जाये, बन जाये चाहे कोई भी अन्धे- बहरे। यादें चाहे हो दर्द भरी या फिर रंगीली, कविता पढ़ लगे पल वो सब सुनहरे। जीवन का हर हर पहलू ज़ाहिर हो, चाहे आकर मौत भी इस पर ठहरे। #अंश #गहरे #पहरे #सुनहरे #चेहरे_पे_चेहरे #विश्वकवितादिवस #yqhindi #bestyqhindiquotes