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हमारी नाज़ुक नज़दीकियों पे, तुम जिस कदर इतरा के नाज़

हमारी नाज़ुक नज़दीकियों पे, तुम जिस कदर इतरा के नाज़ फ़रमाते हो,
जल जाती हैं रफ़ाक़तें दोस्तों की भी, जब मुस्कुराके यूँ पास आते हो,
लगता है नज़र लग जाती है, जब होते हैं महफ़िलों में अपने इश्क़ के चर्चे,
साथ होते हो बस शाम कुछ देर, फिर ख़्वाबों में आके रातभर तड़पाते हो।


- आशीष कंचन रफ़ाक़त = दोस्ती
#नज़दीकियां #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqhindi #yqbhaijan #yqlove
हमारी नाज़ुक नज़दीकियों पे, तुम जिस कदर इतरा के नाज़ फ़रमाते हो,
जल जाती हैं रफ़ाक़तें दोस्तों की भी, जब मुस्कुराके यूँ पास आते हो,
लगता है नज़र लग जाती है, जब होते हैं महफ़िलों में अपने इश्क़ के चर्चे,
साथ होते हो बस शाम कुछ देर, फिर ख़्वाबों में आके रातभर तड़पाते हो।


- आशीष कंचन रफ़ाक़त = दोस्ती
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