नीद पूरे बिस्तर में नही होती, वो पलंग के एक कोने में दाये या बाये किसी मख़सूस तकिये की तोड़-मोड़ में छिपी होती है,जब तकिये औऱ गर्दन में समझौता हो जाता है तो आदमी चैन से सो जाता है नीद पूरे बिस्तर में नही होती, वो पलंग के एक कोने में दाये या बाये किसी मख़सूस तकिये की तोड़-मोड़ में छिपी होती है,जब तकिये औऱ गर्दन में समझौता हो जाता है तो आदमी चैन से सो जाता है