सतरंगी बदलियाँ बारिश लिए हैं आईं समझो न इन्हें तुम सन्देशा किसी का भाई! कोई खत नहीं है रिमझिम! बह रही है सियाही। अपने ही रंग में हैं, रँगना इन्हें न भाई! बूँदों की झड़ी सरगम है गीत एक रुबाई सुर ये भीगा-भीगा सागर की मौज आई। सच है लहर की सीमा साहिल नहीं है भाई! ये चाहतें ललक ये आसमाँ तलक़ हैं आई। नाहक किसी उम्मीद में बाँधों न इसको भाई। पल-पल तपाकर ख़ुद को हैं भाँप करके आई। ऐसे ही नहीं इतनी ये संदल सरस है भाई! तुमसे भी मिली हँसकर संग मेरे मुस्कुराई। रंगधरा! तुमको सौंधी सी ये बधाई! अनंग रंग लुटाने ये निरंग चली आईं... सुख क्या है बिखरने में पूछो न इनसे भाई! #tome#toyou#rainingin#yqrain#yqlove#yqlife