ये कहती नहीं हुठों से कुछ, ये आंखों से बहती रहती है, दर्द की अपनी भाषा होती है। चोट अपनों को आई अगर कभी, सीने में खुद के भी तकलीफ बढ़ती रहती है, दर्द की अपनी भाषा होती है। किसी के छलके अंशु दर्द बयान कर जाते है, किसी का मन सबकुछ अंदर दबाता जाता है, कोई सबकुछ बता पाता है कोई सबकुछ छुपाता जाता है, हर किसी की तकलीफ खुद में गहरी रहती है इसलिए तो कहते है, दर्द की अपनी भाषा होती है। #दर्दकीभाषा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi