वर्षों पूर्व जब रामायण व महाभारत देखी थी तब दुनिया भर के प्रश्न मन में उठते थे, जिनका जवाब इन बीते हुए बरसों में मिले, जीवन से, अध्ययन से, चिंतन से! आज पुनः रामायण व महाभारत देखना, उन उत्तरों के साथ, बहुत ही आनन्द दायक है! जब - जब भी राम व पाण्डवों की विजय होती थी नादान मस्तिष्क में यही तर्क पैदा होते थे कि देवी - देवताओं ने इनकी सहायता न की होती तो ये न जीतते! लेकिन धीरे-धीरे कुछ वर्षों बाद ये समझ में आया कि दोनों सत्य के रथ पर सवार थे, सत्य के पालक थे अतः देवी - देवताओं द्वारा सहायता तो होनी ही थी, तभी तो कहते हैं कि सत्य का साथ ईश्वर देते हैं! असत्य के पक्षधर व नितांत सांसारिक व्यक्ति, सांसारिक व सामूहिक ताकत में विश्वास करते हैं जबकि सत्य के पक्ष धर, आत्म -कल्याण के इच्छुक व समस्त संसार के हित की कामना करने वाले साधक ईश्वरीय शक्ति पर ही विश्वास करते हैं उन्हें वहीं से सहायता मिलती है और वे विजयी भी होते हैं जैसे दुर्योधन द्वारा श्री कृष्ण की सेना और अर्जुन द्वारा स्वयं भगवान को मांगना!! #ईश्वरीय सहायता #14. 04.20