वक़्त-वक़्त की बात है, ये वक़्त की ही बिछायी बिसात है। वक़्त बदले तो सब बदले, वक़्त के आगे किसकी क्या औकात है। जो वक़्त कल था आज नहीं, आज का भी कोई कल नहीं, कल का कल भी किसने देखा; वक़्त की ही रहे करामात सभी। तुम जो चाहों, जैसा तुम सोचो, सब वैसा ही हो, तुम वक़्त से ज्यादा तो बलवान नहीं। सब वक़्त-वक़्त की ही तो बात है। वक़्त के आगे बोलो किसकी क्या औकात है।। ⏳'वक़्त'⏳ वक़्त की बिसात ♟ #yqhindi #philosophy #life #gameoftime #time #timeiseverything #lifelessons #futureisuncertain