मेरे मन गुमसुम सी हुई गलियाँ, जैसे पनिया बिन नदियाँ, इन अखियन में नीर की प्यास क्यों है ऐ, मेरे मन तू उदास क्यों है?? ठिठकी सी हवा है,थका सा नीर है सहमी हुई रात है, चांद भी गंभीर है सागर को नदियन की आस क्यों है, ऐ, मेरे मन तू उदास क्यों है?? पल दो पल की ये जिंदगानी है , क्या जाने फिर क्या है कहानी है। करता तू मन को निराश क्यों है ऐ, मेरे मन तू उदास क्यों है?? -VivekSri #mereman