झाड़ के अपने कपड़े फिर खड़ा हो जाता हूं, सेल्स का बंदा हु साहब नाकामियो से रोज लड़कर आता हूं, झाड़ के अपने कपड़े फिर खड़ा हो जाता हूं। ये मुश्किलें तो पहाड़ सी है उन मुश्किलों को गोली पीला आता हूं, झाड़ के अपने कपड़े फिर खड़ा हो जाता हूं। हर रोज रात को गिनता हु,अपनी नाकामियों को, फिर उनसे लड़ने का हर नुस्खा आजमाता हूं, झाड़ के कपड़े अपने फिर खड़ा हु जाता हूं। कई दफा उन्हें हराने के बाद, खुद भी हार जाता हूं, पर कहा ना, सेल्स का बंदा हु साहब झाड़ के कपड़े अपने फिर खड़ा हो जाता हूं। #sales #salesman #motivation #quaotes #marketplace