पेश-ए-ख़िदमत है एक ग़ज़ल जिसका उन्वान है 'अब तुम्हारे नाम से', बरा-ए-मेहरबानी मुलाहिज़ा फ़रमायें...
👉 ग़ज़ल - अब तुम्हारे नाम से .....
👉 काफ़िया - आम
👉 रदीफ़ - से
👉 बह्र - बहर-ए-रमल मुसद्दस महज़ूफ़
👉 वज़्न - 2122 2122 212
👉 अरकान - फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाइलुन
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