कुछ खट्टे, कुछ मीठे, कुछ कड़वे, तो कुछ आज भी लबों पर हंसी लाते हैं, वो लड़कपन भरे जो लम्हे थे, आज वो लम्हे भी बड़े लुभाते हैं। _ The Khushi Dhangar Read full poetry in the description given below कुछ खट्टे, कुछ मीठे, कुछ कड़वे, तो कुछ आज भी लबों पर हंसी लाते हैं, वो लड़कपन भरे जो लम्हे थे, आज वो लम्हे भी बड़े लुभाते हैं।