हमने अपने अल्फाजों को इतना दबा के रखा है कि अब वो जुबा पे आते ही नहीं..... कुछ रिश्तों की कीमत इतनी बढ़ चुकी है कि अब हम उनकी तारीफ़ में कुछ सुनाते ही नहीं.. #जूठे #रिश्ते