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आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा हसीन सपनो को फ

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा हसीन सपनो को फिर जागकर देखा,
नींद व सपनों के बीच खींच दी रेखा।
बीते हुए लम्हों को लिख कर संभाला,
जब भी याद आए तो कर सकू ताजा।
कागज पे कलम ने विचारों को उकेरा,
मैंने जागकर भी वक्त को नहीं गंवाया।
अल्फाजों में ज़िन्दगी संवार कर देखा,
रंगो से खुद की तस्वीर बनाकर देखा। #जागकर देखा*
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा हसीन सपनो को फिर जागकर देखा,
नींद व सपनों के बीच खींच दी रेखा।
बीते हुए लम्हों को लिख कर संभाला,
जब भी याद आए तो कर सकू ताजा।
कागज पे कलम ने विचारों को उकेरा,
मैंने जागकर भी वक्त को नहीं गंवाया।
अल्फाजों में ज़िन्दगी संवार कर देखा,
रंगो से खुद की तस्वीर बनाकर देखा। #जागकर देखा*
jagdishprasadlod3535

J P Lodhi.

Silver Star
Growing Creator