"गुज़ारिश" कैसे की जाए मेरी मोहब्बत की सिफ़ारिश? कोई मुझे भी सिखा दे ये वफ़ा की गुज़ारिश। अक्सर ही मैं खो जाता था तुझे देख कर जानिब! कभी प्यार, कभी तकरार, क्या इसी की गुज़ारिश? कैसा था तेरा हुस्न और कैसी थी ये तेरी कशिश, हम शौक से दीदार को तेरे चाहे, करे तुमसे यही गुज़ारिश! कुछ था हमारे दरमियां, थी कोई रब की साज़िश, न मैं मैं रहा न तुम तुम रही, रही बस गुज़ारिश! मुझे खूब सताने लगी है तेरी मेरी ये रंजिश, उल्फत, नफ़रत हाय! सुन ले मेरी आखरी गुज़ारिश ! आ गई है मेरी जिंदगी मैं कोई दुःखों से भरी गर्दिश, हमनवां मेरे खफ़ा होने से क्या मिट जाती है गुज़ारिश? बेवफ़ाई की ऐसी तो कोई नहीं थी मेरी कोशिश! मैंने तो तुझे पाना चाहा, खोने की नहीं थी गुज़ारिश!! -Nitesh Prajapati रचना क्रमांक :-3 #happybirthdayyq #hbdyq #hbdyq3 #गुज़ारिश #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़