कभी छोड़ दिया था उन गलियों को, जिसमे तुम्हारी एहसासों का एहसास था, आज फिर से पुरानी राहों से गुजरना पड़ा, जहां हमारी यादों का घोंसला अब भी आबाद था। हम आज भी तुम्हारी बातों को राहों पे टोहता हूं, तिनकों पर बिखरे अल्फाजों को बटोरता हूं, आज वही पुरानी राहों से फिर मुलाकात हो गई, की आज भी प्यार से पुराने घावों को टटोलता हूं। मुझे मालूम है कि तुम मुझे फिर से भूल गए हो, पहले नजदीक थे तुम दिल के अब दूर भए हो, आज फिर पुरानी राहों से आंखे दो चार भई है, की सपने अब भी वही जिंदा है जैसे घूर रहे हो एक शायर ने कहा है उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे मुझे रोक रोक पूछा तेरा हम सफ़र कहाँ है.. बशीर बद्र हर किसी की ज़िंदगी इन्हीं पुरानी राहों से हो कर गुज़रती है। लिखें इस के बारे में। #पुरानीराहें