चाहत से जिसकी ज़िंदगी मयस्सर, अज़ल से है जो बंदे का परवर, ख़ुदी ख़ुदा की करें ना क्यूँकर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर ا पाया जब भी खुद को मुज़तर, अंधेरों में था किसका अनवर, मुश्किलों में सबका रहबर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर ا प्यासे सारे जहल के लश्कर, दिल के काले ईमां के बंजर, फ़िर कैसे दी हमने टक्कर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर ا भूल के उसको पूजें पत्थर, किसने भेजा हम पर पैग़म्बर, याद करो अहमद का मंज़र, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर ا तलवारें सारी अपनी जर्जर , फ़िर भी हमने जीता खै़बर, किसको माने खूं-ए-हैदर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर ا आज़माईशों के जब हम में मेहवर, तक़लीफ़ें सारी आईं थी यकसर, कौन था खुशियाँ का मसदर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर ا Mayassar- Available, parvar- Nourisher, Muztar- Helpless, Anwar- Light, Rahbar- Guide, Lashkar- Army, Manzar- Scene, Haidar- Ali, Mehvar- Centre, Yaksar- Alltogether, Masdar- Source #yqbhaijan #yqislam #yqkhuda #yqurdu #yqwriters #yqquotes #yqtales #yqallah