भूख मिटा कर किसी की, हमने दुआएँ पाई हैं, कुछ इस तरह से हमने, अपने रोगों की दवाएँ पाई हैं // अपना हाल-ए-जिन्दगी भी शाहों सा रहा है.... जब भी तनहा हुए, फकीरों की सभाएँ पाई हैं //// सौमित्र ठाकुर कहानी जिन्दगी की....