झुग्गी झुग्गी झोपड़ियो में सोते रोते रहते दिन रात, 2 वक्त की रोटी कैसी मिलती तरसते है सब साथ, पाप लगे जो जन्म मिला, नर्क से बद्तर दर्द मिला, लोग बोलते क्यों हम रोते, मार जाते ऐसी हालत में जो नेता होते, काले बादल, काला जीवन काले है हमारे दिन रात, कोई तो सोचो, कोई तो देखो, रहते कैसे हम सब साथ, सिस्टम का सिस्टम तो देखो, है टैक्स फ्री जो नेता बैठे अरबों पार, है गरीब मर रहा यहां वो बारों बार, भूखा सोता बच्चा रोता सहमा सहमा रहता है, रहमत कर दे या मौत ही देदे भगवान से रोज कहता है, देखो हम भी इंसान ही है,कुछ जोश है कर दिखाने का, चोर जो नेता बैठे है, काम है उनका जी चुराने का, हाय नही लेना उसकी जो रह रहा खुशियो का प्यासा, चाहता है वो भी बेचारा कुछ तो खुशिया उसके भी पास आ।। गरीब का दर्द...