पानी की कमी तो देखी थी, अभाव न सहा मैंने कभी शायद नियती के शहर में, सारे अनुभव होने लिखे हैं विरह तो संग जी गये, प्यास पर पी रहे हैं हम अभी शायद सागर की लहर में, अनजाने कल होने लिखे हैं तुम्हें याद करते-करते, अब जाकर रचना बन पायी है.. Speechless Me.. बात समस्या के हल मात्र की नहीं, बात आज या कल के किसी अट्टहास की नहीं.. हो सकता है कि यह कुछ दिनों की ही बात हो और वर्षा के आने से सारी किल्लत समाप्त हो जाये.. यह भी हो सकता है कि हल्की सी बारिश मात्र का कोई असर ही न पड़े..