शहीद औरंगज़ेब की ओर से ख़त माँ सुनो मुझे छुट्टी मिल गयी ! रमज़ान ख़त्म होते ही मैं घर आ रहा हूँ । मैं ईद पर घर आ रहा हूँ माँ । बहन से कहना हम ईद की नमाज़ पढ़ने के बाद अब्बू के संग घूमने चलेंगे उसने वो सलवार कुर्ता बहुत पसंद हैं ना वो लेकर आऊंगा । औऱ चूड़ियां भी, मुझे पता है अभी भी वो ही पहन रही होगी जो पिछले साल अब्बू ने दिलाई थीं । और अब्बू के लिए यहाँ से टोपी ला रहा हूँ माँ महीन कढ़ाई है इसमें अब्बू को पसन्द है ना । पता है माँ इस बार शुक्ला सर मेरी बहुत तारीफ कर रहे थे वो कह रहे थे मैं बहुत ज़बाज़ औऱ बेखौफ हूँ मैंने भी बोला उनसे मेरी माँ ने मुझे प्यार से ज़्यादा हौसला दिया है अपने ऊपर यकीन रखने का । आप ही कहते हो न कि