हमें भी हुई थी कभी मोहब्बत किसी चाँद के चकोर थे हम भी जो कट कर संग हवा के बह चली उसी पतंग की डोर थे हम भी सब्ज़-रुत उल्फ़त की हमसे भी थी गुज़री मद-मस्त नाचते इक मोर थे हम भी उनकी निग़ाहों के नेज़े से हुए छलनी जज्बातों के कुछ कमज़ोर थे हम भी रंगीन अदाएं बेपनाह बरसती थी हम पर क़ुर्बतों से बेहद सराबोर थे हम भी गाते फिरते थे उनके नाम की रुबाइयाँ आशिक़ बड़े पुरजोर थे हम भी बहा किए इश्क़ में किसी सैलाब के मानिंद इक बेताब जुनूनी शोर थे हम भी.. ©KaushalAlmora SOD : मैं रहूं या ना रहूं (अरमान मलिक) #हमभी #मोहब्बत #रोजकाडोजwithkaushalalmora #love #चकोर #मोर #365days365quotes