जिन्दगी हाँ मिला हूँ मैं जिन्दगी के इक पहलू से जरूरतों के जख्मों ने छीन ली है , मासूमियत ना जाने कितने चेहरों से जख्म तो तब और भी गहरा होता है जब कोई अपना अपनों से दूर होता है हम भूल गये हैं परिवार के कौतूहल को गुम हो रहे हैं इन शहरों की गलियों में थक गया हूँ इस शोर भरी जिंदगी से मेरा गाँव ही अच्छा है साहब जहाँ लोग मुझे मेरे पिता के नाम से जानते यहाँ तो लोग मुझे मेरे मकान नम्बर से पहचानते हैं थक गया हूँ इस एकमुश्त जिन्दगी से इन बन्द दीवारों और खोखली शान ने खुशियाँ छीन ली हैं अपनी चल अब जिन्दगी अपनों के साथ जीते हैं चल अब गाँव लौट चलते हैं । #nojotohindi #howtotransformyourself #life #meragaon