सोचा नहीं था की ऎसा भी होगा एक दिन हमे यू भुगतना भी होगा अब ऎसे ऎसे तु काम करके जिंदगी हमारी ही बर्बाद करेगा कब तक हमको यू सहना होगा अब इसका कब इन्साफ़ होगा घूर घूर कर हमको अब यू कब तक अपनी यह गन्दी सोच रखेगा..!!! By :- Akshita jangid (poetess) #juistic for asifa ##