जन्नत-ए-काश्मीर में, अब #रौनक नही.! हो गई आज उजाड़ है, दोज़ख सी बन गई.! चिनार के पत्तों पे लगे, खून के धब्बे.! बारुदी महक वादियों में, दूर तक फैले.! डल झील के पानी का रंग, लाल हो गया.! इंसानी खून से डल झील, ।भर गया.! चिड़ियों की चहचहाहट नही, वादी में गूंजे.! बन्दूक की तड़तड़ाहट से, ये वादियां गूंजे.! हो गया सब ख़त्म है अब कुछ नही बचा.! दोज़ख सा हो गया है ज़न्नत, बस यही हुआ.! #अजय57