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जब उड़ोगे तब जानोगे कि जाने कब से हो तुम ज़िदगी क

जब उड़ोगे तब जानोगे 
कि जाने कब से हो तुम
ज़िदगी के पिंजरे में।

चलोगे तब पता चलेगा
कि पैरों में पड़ी हैं 
जाने कितनी मजबूरियों की बेड़ी।

जगोगे तब समझोगे
कि अब तक जिसे समझे थे हक़ीक़त
सब सपना था या भ्रम।

©Bhavna singh Bhavna singh
जब उड़ोगे तब जानोगे 
कि जाने कब से हो तुम
ज़िदगी के पिंजरे में।

चलोगे तब पता चलेगा
कि पैरों में पड़ी हैं 
जाने कितनी मजबूरियों की बेड़ी।

जगोगे तब समझोगे
कि अब तक जिसे समझे थे हक़ीक़त
सब सपना था या भ्रम।

©Bhavna singh Bhavna singh