जब उड़ोगे तब जानोगे कि जाने कब से हो तुम ज़िदगी के पिंजरे में। चलोगे तब पता चलेगा कि पैरों में पड़ी हैं जाने कितनी मजबूरियों की बेड़ी। जगोगे तब समझोगे कि अब तक जिसे समझे थे हक़ीक़त सब सपना था या भ्रम। ©Bhavna singh Bhavna singh