बंद पिंजरे मे रहणे वाली तितली थि वो उडणे वाली तिरस्कार सहा उसने पूरी उमर अपमान सहा उसने बचपन से लडकपन तक वो नन्ही सी परी जब हुई बडी नही पता उसे हे वो लंका मे खडी उडणे का ख्याल छिन लिया उससे पिंजरे मे फिर करदिया बंद उसको आज भी कैद है वो पिंजरे मे आस हे उसे बाहर निकलने की ..@अनिकेत