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क्या लगता है कभी तेरा मेरा गुफ्तार होगा भूले बिसरे

क्या लगता है कभी तेरा मेरा गुफ्तार होगा
भूले बिसरे ही सही कभी एक झलक को तेरा दीदार होगा।।

मैं हर एक बस्ती,हर एक कस्बे को छान मारूंगा
जब ए मेरी हुस्न-ए-तमन्ना तेरा हुस्न-ए-ऐतबार होगा।।

जब नहीं होगी न ए-जान-ए अदा मेरी तू मेरे पास कभी
तो फ़िर एक तेरी ही यादों में तेरे ही तस्वीर से तेरे ही चर्चों का सरोकार होगा।।

ये जो मेरा बीमार सा दिल है ना
ए नर्गिस-ए-बहार अब हर घड़ी ये तेरी ही तहरीर को बीमार होगा।।

ये जो मैं तेरे लिए गज़ल-ए-वफ़ा लिखता हूं न
सोच ज़रा की हमको तुझसे कितना बेइंतहा प्यार होगा।।

©subhashroythought #thirtysixthquotesofmine
#izhaar_e_mohabbat
#husn_e_bahar 
#love_poetry
क्या लगता है कभी तेरा मेरा गुफ्तार होगा
भूले बिसरे ही सही कभी एक झलक को तेरा दीदार होगा।।

मैं हर एक बस्ती,हर एक कस्बे को छान मारूंगा
जब ए मेरी हुस्न-ए-तमन्ना तेरा हुस्न-ए-ऐतबार होगा।।

जब नहीं होगी न ए-जान-ए अदा मेरी तू मेरे पास कभी
तो फ़िर एक तेरी ही यादों में तेरे ही तस्वीर से तेरे ही चर्चों का सरोकार होगा।।

ये जो मेरा बीमार सा दिल है ना
ए नर्गिस-ए-बहार अब हर घड़ी ये तेरी ही तहरीर को बीमार होगा।।

ये जो मैं तेरे लिए गज़ल-ए-वफ़ा लिखता हूं न
सोच ज़रा की हमको तुझसे कितना बेइंतहा प्यार होगा।।

©subhashroythought #thirtysixthquotesofmine
#izhaar_e_mohabbat
#husn_e_bahar 
#love_poetry