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सुनो ए जिंदगी एक बार फ़िर उलझते है, इस बार तू मुझे

 सुनो ए जिंदगी एक बार फ़िर उलझते है,
इस बार तू मुझे सुलझाना! 
मैं तुझसे रूठ जाऊँगी,
इस बार तू मुझे मानना!
हज़ारों ग़म देखकर तुझे मैं छोड़ दूँगी,
इस बार तू ख़ुद से ख़ुद को सँभालना
और मेरे हर सितम पर मुस्कुराना!
मैं तुझे उस भूलभुलैया में छोड़ आऊंगी,
 सुनो ए जिंदगी एक बार फ़िर उलझते है,
इस बार तू मुझे सुलझाना! 
मैं तुझसे रूठ जाऊँगी,
इस बार तू मुझे मानना!
हज़ारों ग़म देखकर तुझे मैं छोड़ दूँगी,
इस बार तू ख़ुद से ख़ुद को सँभालना
और मेरे हर सितम पर मुस्कुराना!
मैं तुझे उस भूलभुलैया में छोड़ आऊंगी,
banjaran1846

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