सोचता हूँ, निकल पडूँ मैं ज़िन्दगी की राह में, फिर किसी मोड़ पर तुम मिल जाओ! फिर मैं तेरे रंग में रंग जाऊँ, तुम वो बनारस की शाम बन जाओ! तलबगार हूँ मैं अस्सी की चाय का..... चूम लूँ मैं तुम्हें! तुम वो कुल्हड़ वाली चाय बन जाओ! मैं अपने हर नाम में तुम्हारा ज़िक्र चाहता हूँ, मैं शिव, तुम पार्वती बन जाओ! मैं तुममे समा जाऊँ, मेरे सारे पाप धुल जाएँ, तुम वो गँगा की धार बन जाओ! मैं तन्हा सारी रात गुजारूं, तुम वो अस्सी की घाट बन जाओ! ©MIRZA "सोचता हूँ......😊 #Banaras #Love #luvuzindgi #LostTracks