ये समाज का सवाल था कि मोहब्बत क्यों कर बैठे समझाऊँ कैसे अब कि हर दिन मरना था हंसकर धीरे धीरे बिखरना था ये समझाऊँ कैसे रातों से हिसाब करना था थोड़ा नहीं ज्यादा किसी के लिए डरना था, एक कहानी लिखनी थी अपनी और उसमें अपना अंत खुद करना था। ©Dolly Singh #lifeend