जब मन हवा के रुख़ की तरह बदलता है तो भाव अलग अलग शाखों से सूखे पत्तों की मानिंद उड़ चलते है स्मृतियों का धरातल भर जाता है उनके कांपते स्पर्श से भविष्य भूत वर्तमान सब आवृत्त हो जाते हैं सांय सांय सा करता मन हवा के रुख़ की तरह ही कब पकड़ में आता है ! #YQbaba #YQdidi #aestheticthoughts #अंजलिउवाच #मन #सूखेपत्ते #हवा #ATमनकारुख