मैं दोहो का वर्षोँ से दीवाना, वो पूरी कविता लगती है। मैं एक शेर मुक्कमल होने को, वो किसी गजल सी लगती है। मैं अनचाहा-सा ख़्वाब अधूरा, वो प्यारी हकीकत लगती है। मैं उसके सपनों में खोया-सा, वो वर्षों से जागी लगती है। मैं कोई ग़जल अधूरी सी, वो कोई मकता लगती है। मकता - ग़जल का अंतिम शेर #yqmai #yqvo #yqgajal #yqsher #yqkavita #yqsaumitr