__________________________ दिल का आ जाना इतना भी आसान कहाँ हो किसी पर एतबार अब वो जज़्बात कहाँ दिल से निकली ऐसी आह जिन्दा तो है कम्बख़्त इस मौत में कोई आवाज कहाँ मैंने दिल के टुकड़ों को ऐसा समेटा है अब आईना भी देखों मुझपे हैरान कहाँ हम तो दिल की बाजी लगाकर दिल हारे फिर भी आशिकों में हमारी पहचान कहाँ इस ज़माने में दिल की बोलियाँ क्या लगाएँ Queen"हीर-राँझा सा कोई खरीदार कहाँ !!! ♥️ Challenge-603 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।